शीया ज़िन्दगी कि तलाश कर रही है
शीया ज़िन्दगी कि तलाश कर रही हैशीया कि मां बच्चपन में मर गई। उषाका जिंदगी बहुत तंग हें। फिर भी हार नहीं मान्ती हे। और यह भी कहा हे कि इस मामले कभी भी ये पिछा नहीं हतुन्गी। क्अयुंकी एक नारी नारी दुश्मन हे। लेकिन क्युं। आज आपनी साऊतैली मां की बराबर सिखाओगी। ओर आगे भी बरुन्गी। जैसे मिली कोठा आए तो मार्ना सुरु करुन्गी। शीया बोला लेकिन मारा नहीं। वसा पागलपन किया कि उन्हें मां बहुत दरगई। शीया बोलीं - आज की बात मुझे जरासा सी तकलिप दिया तो जमझले। आज शुरूआती किया गया है। आगे क्या करूगी। मुझे भी नहीं पता हे। बस उस दिनों से शान्ति रही थी हे। ओर शीया की पढाई बहूत अछी चल रही है और आछा अंक से पास किया गया है। आज ओ एक कलेक्टर बन गई हैं। उनकी बहूत ईज्जत भी मिलती है। शीया ज़िन्दगी कि तलाश कर रही है
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